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क्यों नहीं मिलता धन, दौलत, शोहरत? आओ Practical Experience से समझें

Introduction

आजकल लोग अक्सर भ्रमित और कंफ्यूज रहते हैं कि उन्हें धन, शोहरत, वैभव, कार, बंगला, गाड़ी, करोड़ों क्यों नहीं मिलते। अगर आपको करोड़ों रुपये कमाने हैं और जीवन में समृद्धि चाहिए तो इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें। इसमें हम practical experience के माध्यम से इस सवाल का जवाब ढूंढेंगे।


Table of Contents

धन और दौलत की कमी का मुख्य कारण
प्रार्थना का महत्व
शुभचिंतक की पहचान
अहंकार का त्याग
निष्कर्ष

FAQs

1. धन और दौलत की कमी का मुख्य कारण
यदि कोई मुझसे पूछे कि अगर आपको सुपरनेचुरल पावर भगवान से कुछ मांगने का मौका मिले तो आप क्या मांगेंगे, तो मेरा उत्तर होगा, "हे सुपरनेचुरल पावर के स्वामी भगवान, जो शब्द मेरे मुंह से निकले या जो मैं कहूं, जब भी मैं किसी दूसरे के लिए अच्छा मांगता हूं तो वह पूरा हो जाना चाहिए, और यदि मैं कुछ गलत बोलता हूं तो वह पूरा नहीं होना चाहिए।"

Example

रमेश एक साधारण व्यक्ति था जो हमेशा दूसरों की मदद के लिए तत्पर रहता था। उसने हमेशा दूसरों के लिए अच्छी प्रार्थना की और उनकी भलाई के लिए काम किया। धीरे-धीरे उसकी जिंदगी में समृद्धि आने लगी और वह एक सफल व्यापारी बन गया। रमेश का मानना था कि उसकी सफलता का रहस्य दूसरों के लिए प्रार्थना करना और अहंकार का त्याग करना था।

2. प्रार्थना का महत्व

भगवान से मेरी यही मांग है, यही मेरी प्रार्थना है। अपनों के लिए मांगो, सबके लिए मांगोगे तो आपका भला अपने आप हो जाएगा। यही प्रकृति का नियम है। दुआएं सबके लिए मांगोगे तो आपको भी दुआएं लौट कर मिलेंगी।

3. शुभचिंतक की पहचान

आपका शुभचिंतक कौन होता है? वह नहीं जो रोज मिले या बातें करे, बल्कि शुभचिंतक वह होता है जो हर रोज आपकी खुशियों के लिए प्रार्थना करता है। अब लोग इस बात को नहीं मानते कि जब कोई किसी दूसरे के लिए दुआएं मांगता है तो यह प्रक्रिया कहीं दिखती नहीं है। अगर फर्क नहीं दिखता तो क्यों भटकते हो जगह-जगह, हरिद्वार, पांडू पिंडारा, बाबाओं और ढोंगीयों के पास जाकर?

भगवान कहते हैं, "बंदे, तेरे पास दुआएं नहीं हैं तो अंडा जीरो है। दुआएं हैं तो मैं भी कुछ नहीं कर सकता। आओ, जाकर कुछ नेकी भलाई कर, लोगों को दुआएं बांट, फिर लौटकर आना। मैं तेरी झौली भर दूंगा।"

4. अहंकार का त्याग

जाओ अपने अहंकार की गठड़ी को फैंक कर आओ। इस बुंद के समान जीवन को अच्छा बनाना है तो अपने सागर से भी बड़े अहंकार को मिटा कर आओ, वर्ना यूं ही झौली फैलाता रह जाओगे। इसीलिए मैं तो अपने दुआओं के सफर में निरंतर चलता रहता हूं।

5. निष्कर्ष

प्रकृति का सटीक नियम है: जैसा कर्म करोगे, वैसा फल पाओगे। जैसे कर्म करोगे, वैसा ही परिणाम मिलेगा। गीता का ज्ञान है, "पहले दुआएं बांटो, फिर वापस लौटेंगी।" पहले आप दुआएं बांटें, फिर आपको फल मिलेगा। अगर सही लगे तो राम राम, और अगर कुछ सबक मिले तो कॉमेंट करना न भूलें।

FAQs

Q1: धन और दौलत पाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण क्या है?
A1: दूसरों के लिए अच्छी प्रार्थना करना और अहंकार का त्याग करना महत्वपूर्ण है।

Q2: प्रार्थना का महत्व क्या है?
A2: प्रार्थना से दूसरों के लिए अच्छा मांगना और उनकी भलाई के लिए काम करना हमें धन और दौलत की ओर ले जाता है।

Q3: शुभचिंतक कौन होता है?
A3: शुभचिंतक वह होता है जो हर रोज आपकी खुशियों के लिए प्रार्थना करता है, न कि केवल वही जो रोज मिलता है।

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जानिए क्यों नहीं मिलता धन, दौलत, शोहरत और वैभव। इस ब्लॉग पोस्ट में practical experience के माध्यम से समझें कैसे प्रार्थना, शुभचिंतक, और अहंकार का त्याग जीवन में समृद्धि ला सकते हैं।

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प्रकृति के नियम और practical experience से समझें क्यों नहीं मिलता धन, दौलत, शोहरत और वैभव। जानें प्रार्थना, शुभचिंतक, और अहंकार का त्याग का महत्व।

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Author: जगबीर सिंह
Location: रोहतक, हरियाणा, इंडिया
Email: jsliiieyes@gmail.com






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